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देवनागरी लिपि बौद्ध लिपि है: झारखंड में बौद्ध मूर्तियों से मिले संकेत

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देवनागरी लिपि : नामकरण और विकास

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Skip to content Menu Search मुखपृष्ठ प्रकाशित पुस्तकें कहानियाँ कविताएँ अन्य विधाएँ परीक्षोपयोगी बाल जगत अकाउंट लेखक सूची Close Menu NOVEMBER 16 2017 देवनागरी लिपि : नामकरण और विकास राजीव सिन्हा भाषा और लिपि 4 देवनागरी लिपि: उद्गम देवनागरी लिपि का उद्गम प्राचीन भारतीय लिपि ब्राह्मी से माना जाता है. 7वीं शताब्दी से नागरी के प्रयोग के प्रमाण मिलने लगते हैं. नवीं और दसवीं शताब्दी से नागरी का स्वरूप होता दिखता है। देवनागरी लिपि: नामकरण ‘नागरी’ शब्द की उत्पत्ति के विषय में विद्वानों में काफी मतभेद है। कुछ लोगों के अनुसार यह नाम  ‘नगरों में व्यवहत’ होने के कारण दिया गया. इससे अलग कुछ लोगों का मानना है कि गुजरात के नागर ब्रह्मणों के कारण यह नाम पड़ा। गुजरात में सबसे पुराना प्रामाणिक लेख, जिसमें नागरी अक्षर भी हैं, जयभट तृतीय का कलचुरि (चेदि) संवत् 456 (ई० स० 706) का ताम्रपत्र है। गुजरात में जितने दानपत्र नागरी लिपि में मिले हैं वे बहुधा कान्यकुब्ज, पाटलि, पुंड्रवर्धन आदि से लिए हुए ब्राह्मणों को ही प्रदत्त हैं। राष्ट्रकूट (राठौड़) राजाओं के प्रभाव से गुजरात में उत्तर भारतीय लिपि विशेष रूप...